पुन्हा ये आषाढी| पुन्हा आलो भेटी|
नम्र जगजेठी| तुझ्या पायी||१
पुन्हा याही वर्षी| गार्हाण्यांची यादी|
दारी हा फिर्यादी| पुन्हा उभा| |२
तुझिया कृपेने| लाभे आम्हा अन्न|
पिकविता खिन्न| शेतकरी| |३
फास विष जया| झालाहे आसरा|
लाज न रे जरा| मंत्रालय| | ४
चेक द्यावा त्यांनी| बोउंस हो तोही|
का रे पत नाही| शासनाची| |५
दरोडे मायान्दल| चोर सोकावले|
जन धास्तावले| अहोरात्र| | ६
पाऊस रे तैसा| समृद्धीचा दाता|
परी करी घाता| जागोजाग| |७
शासकांत पाणी| काहीच नुरले|
शहर तुंबले| पर्वा कुणा| |८
जळाची संकटे| नित्यनेमे येती|
उपायही जाती| पाण्यामध्ये| |९
पोरांनी आमुच्या| शिकावे का सांगा|
अडमिशनचा वांधा| कोण सोडी| |१०
कश्तून खर्चून| टक्के मिळवावे|
टोणपे का खावे| त्यांनी उगा| | ११
शिक्षणाचे खाते| अडाण्याचा गाडा|
आम्ही का तो ओढा| सांग बापा| |१२
वाढले ते डबे| गाड्याही लांबल्या|
तरीही मागल्या| ये रे माझ्या| | १३
वाढत्या गर्दीला| पुरते न काही|
दूरदृष्टी नाही| कोण लेका| |१४
विकार बळावे| रोग हो मुजोर|
डॉक्टरही चोर| कुठे कुठे| |१५
ज्यांनी वाचवावे| त्यांनीच मारावे|
पैसे प्राण घ्यावे| काय न्याय| |१६
विनोदही एक| जाता जाता ऐका|
दुजा कुणा नका| सांगू कधी| | १७
हिंदुस्थान देश| गरीबांचा म्हणे|
श्रीमंतीचे नाणे| खन्न वाजे| |१८
दिसामासामाजी| वाढते संपत्ती|
लक्ष लक्ष कोटी| अब्जावधी| |१९
चाळी सपाटती| टोवर ठाकले
फ्लाट भाव गेले| आकाशाला| |२०
मोल मल्टीप्लेक्स| रिसोर्ट मौजेचे|
मुक्तपणे नाचे| चैन-बाला| |२१
जरी घरी दारी| जेमतेम स्थिती|
चाले खादी-पिदी| मनः पुत| |२२
धनाध्यांचा छंद| सामान्यांना मोही|
डुंबत त्या डोही| उडा उडी| | २३
माउस इवला| गरुड त्या केला|
जो तो झेपावला| फोरेनी| |२४
जेथे माया मोठी| तेथे घेती धाव|
स्वदेशीचा भाव| बारा आणे| | २५
प्रश्न भोळ्या मना| लक्षणे हि कैंची|
होईल का गोची| माणसाची| | २६
ऐशी किती दुखे| सांगू ब विठला|
ठाउकी तुलाही| नक्कीच ना| |२७
तरी का पाहशी| अंत बा भक्तांचा|
सुचे का न साचा| मार्ग तुला| | २८
आयता आषाढीला| जीव शिव भेटे|
म्हणून साकडे| दयावंत| | २९
बघ तुला काही| दिसतो का मार्ग|
अन्यथा हे भोग| साहेन बा| |३०
जरी तुला भारी इतुके हे ओझे|
वाहेन मी माझे| सोपा म्हणे| | ३१
सौजन्य :- लेखक (व)संत सोपारकर. मार्मिक अंक ४६, वर्ष ५१.
नम्र जगजेठी| तुझ्या पायी||१
पुन्हा याही वर्षी| गार्हाण्यांची यादी|
दारी हा फिर्यादी| पुन्हा उभा| |२
तुझिया कृपेने| लाभे आम्हा अन्न|
पिकविता खिन्न| शेतकरी| |३
फास विष जया| झालाहे आसरा|
लाज न रे जरा| मंत्रालय| | ४
चेक द्यावा त्यांनी| बोउंस हो तोही|
का रे पत नाही| शासनाची| |५
दरोडे मायान्दल| चोर सोकावले|
जन धास्तावले| अहोरात्र| | ६
पाऊस रे तैसा| समृद्धीचा दाता|
परी करी घाता| जागोजाग| |७
शासकांत पाणी| काहीच नुरले|
शहर तुंबले| पर्वा कुणा| |८
जळाची संकटे| नित्यनेमे येती|
उपायही जाती| पाण्यामध्ये| |९
पोरांनी आमुच्या| शिकावे का सांगा|
अडमिशनचा वांधा| कोण सोडी| |१०
कश्तून खर्चून| टक्के मिळवावे|
टोणपे का खावे| त्यांनी उगा| | ११
शिक्षणाचे खाते| अडाण्याचा गाडा|
आम्ही का तो ओढा| सांग बापा| |१२
वाढले ते डबे| गाड्याही लांबल्या|
तरीही मागल्या| ये रे माझ्या| | १३
वाढत्या गर्दीला| पुरते न काही|
दूरदृष्टी नाही| कोण लेका| |१४
विकार बळावे| रोग हो मुजोर|
डॉक्टरही चोर| कुठे कुठे| |१५
ज्यांनी वाचवावे| त्यांनीच मारावे|
पैसे प्राण घ्यावे| काय न्याय| |१६
विनोदही एक| जाता जाता ऐका|
दुजा कुणा नका| सांगू कधी| | १७
हिंदुस्थान देश| गरीबांचा म्हणे|
श्रीमंतीचे नाणे| खन्न वाजे| |१८
दिसामासामाजी| वाढते संपत्ती|
लक्ष लक्ष कोटी| अब्जावधी| |१९
चाळी सपाटती| टोवर ठाकले
फ्लाट भाव गेले| आकाशाला| |२०
मोल मल्टीप्लेक्स| रिसोर्ट मौजेचे|
मुक्तपणे नाचे| चैन-बाला| |२१
जरी घरी दारी| जेमतेम स्थिती|
चाले खादी-पिदी| मनः पुत| |२२
धनाध्यांचा छंद| सामान्यांना मोही|
डुंबत त्या डोही| उडा उडी| | २३
माउस इवला| गरुड त्या केला|
जो तो झेपावला| फोरेनी| |२४
जेथे माया मोठी| तेथे घेती धाव|
स्वदेशीचा भाव| बारा आणे| | २५
प्रश्न भोळ्या मना| लक्षणे हि कैंची|
होईल का गोची| माणसाची| | २६
ऐशी किती दुखे| सांगू ब विठला|
ठाउकी तुलाही| नक्कीच ना| |२७
तरी का पाहशी| अंत बा भक्तांचा|
सुचे का न साचा| मार्ग तुला| | २८
आयता आषाढीला| जीव शिव भेटे|
म्हणून साकडे| दयावंत| | २९
बघ तुला काही| दिसतो का मार्ग|
अन्यथा हे भोग| साहेन बा| |३०
जरी तुला भारी इतुके हे ओझे|
वाहेन मी माझे| सोपा म्हणे| | ३१
सौजन्य :- लेखक (व)संत सोपारकर. मार्मिक अंक ४६, वर्ष ५१.
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